संस्थापक-चेयरमैन श्री कैलाश जी 'मानव': सक्षिप्त परिचय (महामहिम राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से अलकृंत)

नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर के संस्थापक-चेयरमैन श्री कैलाश जी मानव का जन्म 2 जनवरी 1947 को उदयपुर (राजस्थान) जिले के भिण्डर कस्बे में समाजसेवी श्री मदनलाल जी -धर्मपरायणा श्रीमती सोहिनी देवी जी अग्रवाल के घर हुआ। इनके पिताजी एक व्यापारी एवं माताजी एक धर्मपरायण गृहणी थी। बचपन में ही आप बहुत विनम्र रहे और धर्मपरायण समाजसेवियों व संतजन की संगति में रहते थे। उन्ही से इन्होंने मानवता एवं जीवन की सत्यता को जाना। माता-पिता के संस्कारों व संतजनों के उपदेशों से इन्होंने सामाजिक कुरीतियां को दूर करने व पीड़ित मानवता की सेवा करने का बीडा उठाया।

आपने प्राथमिक शिक्षा भीण्डर में और तत्पश्चात आगे की शिक्षा भीलवाडा में प्राप्त की। श्रीमती कमला देवी जी के साथ विवाहोपरान्त इन्होंने पिता के व्यापार में हाथ बंटाया और शीघ्र ही अपनी मेहनत के बल पर व्यापार को नए आयाम दिये।

नियति मानव जी से कुछ और ही कराना चाहती थी। अनायास व्यापार में घाटा होने लगा। धैर्य खोए बिना आपने भारत सरकार के डाक तार विभाग में नौकरी कर ली। उसी दौरान पिण्डवाडा में एक सड़क दुर्घटना हुई, जिसकों देखकर उनके मन में दीन-दुखियों की सेवा करने की भावना प्रबल हो गई। उन्होंने दुर्घटना में घायल हुए लोगों को अस्पताल पहूंचाया और तभी से नियमित रूप से जनरल हाॅस्पीटल में रोगियों की सेवा का क्रम आरम्भ किया। पडोस के घर-घर से एक-एक मुठ्ठी आटा इकट्ठा कर नियमित रूप से पति-पत्नी रोटिया बनाकर हाॅस्पीटल में रोगियों एवं उनके परिजनों को भोजन कराने लगे। उनकी इस सेवा भावना से ही ’नारायण सेवा संस्थान’ का जन्म 1985 में हुआ। इसके कुछ ही वर्ष बाद जब उदयपुर जिले में भंयकर अकाल पड़ा तो मानव सा. ने गावों के अभावग्रस्त लोगों हेतु सहायता शिविरों का आयोजन कर गरीब ग्रामीणों को अन्न, वस्त्र,दवाईयां आदि का विवरण कर दीन-दुखियों की तन मन धन से बहुत सेवा की।

समाज सेवा की यात्रा को आगे बढ़ाते हुए मानवजी ने गांवों के गरीब अनाथ बच्चों हेतु भगवान महावीर अनाथालय की स्थापना 15 दिसम्बर 1990 में की जिसमें 100 बच्चों के लिए निःशुल्क आवास,भोजन,वस्त्र एवं उनकी शिक्षा की व्यवस्था है।

Kailash Manav

इन सेवा शिविरों में इन्होंने पशुवत चलते दिव्यांग भाई-बहिनों को भी देखा और तभी इनकी चिकित्सा का संकल्प लिया। वे कई दिव्यांग बच्चों व युवाओं को चिकित्सा हेतु बम्बई ले गये, जहां सह्रदयी दान-दाताओं के सहयोग से उनके निःशुल्क आॅपरेशन करवाऐ। कई वर्षो तक यह क्रम चलता रहा। मुम्बई में महंगे इलाज को देखते हुए इन्होंने समाजसेवी उद्यमी स्वर्गीय श्री चैनराज जी लौढा सा. की सहायता से फरवरी 1997 में 151 बेड का पोलियो हाॅस्पीटल उदयपुर में ही स्थापित किया और निःशक्तजन की शल्य चिकित्सा का शुभारम्भ कर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने की पहल की । 1997 से शुरू किये गये पोलियो हाॅस्पीटल द्वारा आज तक 4,21,250 से अधिक निःशक्तजनों की सफल शल्य चिकित्सा की जा चुकी है।

यहां पर भर्ती होने वाले रागियों एवं उनके परिजनों को रहना, खाना, दवाईयां, मेडिकल टेस्ट, एक्सरे आदि की सभी सुविधाये निःशुल्क प्रदान की जाती है। निःशक्तजनों की शल्य चिकित्सा के बाद उनके पुनर्वास हेतु उनको आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए एक व्यवसायिक प्रशिक्षण केन्द्र 2001 में शुरू किया गया, जिसमें निःशक्तजनों को टेलरिंग, काष्ठकला, कम्प्यूटर, मोबाईल आदि प्रशिक्षण निःशुल्क दिए जाते हैं, ताकि निःशक्तजन प्रशिक्षण के बाद अपनी आजीविका स्वयं कमाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करके समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।

चैनराज पालियो हाॅस्पीटल के अलावा संस्थान द्वारा वर्ष 2005 से 2010 तक निम्नलिखित हाॅस्पीटल की स्थापना की गई।

संस्थान में निःशक्तजनों के पूर्ण पुनर्वास हेतु दैनन्दिन-पोलियो एवं जन्मजात दिव्यांग आॅपरेशन, कैलीपर्स वितरण, लेबोरेट्री टेस्ट,पोलिया रोगियों की जांच एवं चिकित्सा, रोगियों के प्लास्टर चढाना व खोलना, फिजियोथैरेपी, प्राकृतिक चिकित्सा, प्रतिदिन 5000 लोागों को भोजन, निराश्रित बच्चों को शिक्षा एवं संस्कार, मूक बधिर, प्रज्ञाचक्षु, मंदबुद्धि बालकों को आवासीय विद्यालय द्वारा शिक्षण एवं प्रशिक्षण की सुविधाए प्रदान की जाती है। प्रतिदिन 103 देशों में सेवा प्रवचनों द्वारा लोगों को सेवा के लिए प्रेरित किया जाता है। संस्थान द्वारा निराश्रित,अनाथ व बेसहारा बच्चों के लिए छात्रावास, वनवासी क्षेत्रों में बाल संस्कार केन्द्र, स्कूली छात्रों को बस्ते, पोशाकें, पुस्तकों व पौष्टिक आहार का निःशुल्क वितरण तथा वनवासी क्षैत्रों में आंगनवाडियों का संचालन।

पुरस्कार एवं सम्मान

उल्लेखनीय सामाजिक सेवाओं हेतु श्री कैलाश जी मानव सा. एवं संस्थान को अनेक राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।, जिनमें मुख्य निम्नलिखित हैः